---मुजफ्फरपुर से शुरू हुआ राष्ट्रव्यापी अभियान, काशी और मिथिला में अगला आयोजन प्रस्तावित
धर्म संसद सनातन महाकुंभ में पर्व त्यौहार की एकता को लेकर लिया गया निर्णय
---बिहार में गठित हो आचार्य पुरोहित संरक्षण आयोग
---आचार्य पुरोहितों को मिले दस हजार मासिक पेंशन, बच्चों को निशुल्क आवासीय शिक्षा
सर्वतंत्र स्वतंत्राचार्य पं. बच्चा झा की प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पण किया
आईएनटी team मुजफ्फरपुर,
सनातन पर्व-त्योहारों की तिथियों में एकरूपता लाने की ऐतिहासिक पहल रविवार को बाबा गरीबनाथ धाम मंदिर परिसर में संपन्न हुई धर्म संसद व सनातन महाकुंभ के दौरान की गई। इस अवसर पर त्रिभुति सनातन धार्मिक कैलेंडर को जारी करने का निर्णय सर्वसम्मति से लिया गया। आयोजन में भारत और नेपाल के कई संत, आचार्य, विद्वान व पुरोहित शामिल हुए। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए कामेश्वर सिंह संस्कृत विश्वविद्यालय, दरभंगा के पूर्व कुलपति एवं पंचांग विशेषज्ञ पं. रामचंद्र झा ने कहा कि देशभर में अलग-अलग पंचांगों के कारण तिथियों में जो भिन्नता आती है, उसे समाप्त करने के लिए 13 प्रमुख पर्वों की एकरूप तिथि तय की जाएगी। इसके लिए एक विशेषज्ञ समिति का गठन किया गया है, जो अगले वर्ष तक त्रिभुति सनातन धार्मिक कैलेंडर तैयार करेगी। यह पहल केवल पंचांग की एकरूपता तक सीमित नहीं है, बल्कि सनातन संस्कृति के संरक्षण, प्रचार-प्रसार और संत समाज के सामाजिक-आर्थिक उत्थान की दिशा में एक बड़ा कदम है।
सनातन पर्व-त्योहारों की तिथियों में एकरूपता लाने की ऐतिहासिक पहल रविवार को बाबा गरीबनाथ धाम मंदिर परिसर में संपन्न हुई धर्म संसद व सनातन महाकुंभ के दौरान की गई। इस अवसर पर त्रिभुति सनातन धार्मिक कैलेंडर को जारी करने का निर्णय सर्वसम्मति से लिया गया। आयोजन में भारत और नेपाल के कई संत, आचार्य, विद्वान व पुरोहित शामिल हुए। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए कामेश्वर सिंह संस्कृत विश्वविद्यालय, दरभंगा के पूर्व कुलपति एवं पंचांग विशेषज्ञ पं. रामचंद्र झा ने कहा कि देशभर में अलग-अलग पंचांगों के कारण तिथियों में जो भिन्नता आती है, उसे समाप्त करने के लिए 13 प्रमुख पर्वों की एकरूप तिथि तय की जाएगी। इसके लिए एक विशेषज्ञ समिति का गठन किया गया है, जो अगले वर्ष तक त्रिभुति सनातन धार्मिक कैलेंडर तैयार करेगी। यह पहल केवल पंचांग की एकरूपता तक सीमित नहीं है, बल्कि सनातन संस्कृति के संरक्षण, प्रचार-प्रसार और संत समाज के सामाजिक-आर्थिक उत्थान की दिशा में एक बड़ा कदम है।
सर्वसम्मति से निर्णय लिया गया कि धर्म संसद का अगला आयोजन काशी हिंदू विश्वविद्यालय, वाराणसी और कामेश्वर सिंह संस्कृत विश्वविद्यालय, दरभंगा में होगा। कामेश्वर सिंह संस्कृत विश्वविद्यालय में पूर्व कुलपति डॉ रामचंद्र झा जी और काशी हिंदू विश्वविद्यालय में ज्योतिष विभाग अध्यक्ष डॉ विनय पांडे के समन्वय में आयोजन संपन्न होगा। दोनों आयोजन में समन्वय की भूमिका बाबा गरीब नाथ धाम के प्रधान पुजारी व चाणक्य विद्यापति सोसाइटी के राष्ट्रीय अध्यक्ष पंडित विनय पाठक और आध्यात्मिक गुरु कमलापति त्रिपाठी प्रमोद तथा अखंड भारत पुरोहित महासभा के संस्थापक पंडित हरिशंकर पाठक करेंगे। विषय प्रवेश संयोजक आध्यात्मिक गुरु पं. कमलापति त्रिपाठी ‘प्रमोद’ ने किया, जबकि संचालन स्वागतध्यक्ष और बाबा गरीबनाथ मंदिर के प्रधान पुजारी पं. विनय पाठक ने किया।
धर्म संसद का शुभारंभ धर्म समाज संस्कृत कॉलेज के संस्थापक प्राचार्य
सर्वतंत्र स्वतंत्राचार्य पं. बच्चा झा की प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पण और वेदपाठी बच्चों के स्वस्तिवाचन से हुआ। महर्षि सांदीपनि वेद विद्यालय, झंझारपुर (मधुबनी) के बच्चों ने वेद पाठ प्रस्तुत किया। कार्यक्रम की शुरुआत शंखध्वनि और पंच कैलाशी वंदना से हुई।
धर्म संसद में पारित 13 प्रमुख पर्व-त्योहार :::
मकर संक्रांति, वसंत पंचमी, महाशिवरात्रि, होली, रामनवमी, जानकी नवमी, गंगा दशहरा, गुरु पूर्णिमा, रक्षाबंधन, जन्माष्टमी, विजयादशमी, दीपावली, सूर्य षष्ठी व्रत (छठ)
आचार्य-पुरोहितों के लिए पारित चार प्रमुख मांगें:
. आचार्य-पुरोहितों का सर्वे कराकर 10, हजार मासिक पेंशन सहायता दी जाए।
. बिहार सरकार ‘आचार्य पुरोहित संरक्षण आयोग’ का गठन करे।
. संस्कृत विद्यालयों में आचार्य-पुरोहितों के बच्चों को कक्षा 6 से लेकर आचार्य स्तर तक निशुल्क आवासीय शिक्षा दी जाए।
. कैलाश मानसरोवर यात्रा करने वालों को सरकार की ओर से सहयोग राशि प्रदान की जाए।
उपस्थित प्रमुख विद्वान, संत, आचार्य व अतिथि
पारंबा शक्तिपीठ के पीठाधीश्वर स्वामी शक्तिशरणानंद जी महाराज (चंचल बाबा), सोमेश्वरनाथ महादेव मंदिर, अरेराज के महंत एवं दस नाम जूना अखाड़ा के महामंडलेश्वर रविशंकर गिरी,कामेश्वर सिंह संस्कृत विश्वविद्यालय, दरभंगा के पूर्व कुलपति डा. देवनारायण झा,
प्रेमचंद पांडेय, महर्षि शिवानंद शास्त्री, डा. मिथिलेश तिवारी, प्रो. राम निरंजन पांडेय, डा. कर्मात्मा पांडेय, पं. सुनील पांडेय, प्रो. दयानाथ, प्रो. दिलीप कुमार झा, पं. मदन मोहन शास्त्री, डॉ. विनोदनंद झा, आचार्य जितेंद्र तिवारी, पं. मदन मोहन शास्त्री, पं. सुशील पांडे, पं. दिलीप कुमार, पं. सुबोध पांडे,महंत अभिषेक पाठक, डा. चंदन उपाध्याय, रवि कुमार, आचार्य संजय तिवारी, पुजारी देवचन्द झा, प्रधान पुजारी कमलेश झा, प्रधान पुजारी रवि झा, आलोक नाथ योगी, पवन तिवारी, संत अमरनाथ पाठक, महंत रामबालक भारती, पं. मणि पाठक, आचार्य अभिनव पाठक, चाणक विद्यापति सोसाइटी के संरक्षक मनमान त्रिवेदी, समाजवादी नेता तेज नारायण झा और समाजसेवी ओमप्रकाश झा पंडित आलोक रंजन उपाध्याय, आचार्य अजय तिवारी आचार्य आचार्य विनोदनंद झा आचार्य राममन्म पाण्डे आचार्य शत्रुघ्न तिवारी साध्वी प्राची (कथावाचीका वृंदावन धाम ) आदिशामिल रहे।
वेद पाठ करने वाले वेदपाठी छात्र
पं. ब्रजेश झा, पं. नंदन झा, पं. अभिषेक पाठक, पं. शुभम पाठक, पं. अक्षय कुमार, पं. ऋतुराज पाठक, प्रिंस राज पाठक आदि शामिल रहे।
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