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Agriculture सरसों की खेती के लिए बलुई दोमट मिट्टी सर्वाधिक उपयुक्त : वैज्ञानिक News

 काजल कुमारी, मड़वन/मुज़फ़्फ़रपुर



मड़वन(मुज़फ़्फ़रपुर) : प्रखंड के रूपवारा स्थित फेड फार्मर्स प्रोड्यूसर कंपनी की ओर से रविवार को तोड़ी का एक दिवसीय प्रशिक्षण सह डेमोस्ट्रेशन कार्यक्रम का आयोजन किया गया। संचालन महंथ मृत्युंजय दास ने किया। इस दौरान केवीके सरैंया के वैज्ञानिक डॉ तरुण कुमार ने जीवामृत, निमामृत जैव विविधताओं के द्वारा जैविक विधि से खेती करने पर बल दिया। खेती में प्रयुक्त होने वाले मशीन एवं तोड़ी बोने के सही समय के बारे में विस्तार से बताया। केवीके सरैंया के ही वैज्ञानिक डॉ रजनीश कुमार ने किसानों से कहा कि तोड़ी में सल्फर की मात्रा आवश्यक होती है। तोड़ी की महत्ता के बारे में बताया कि तोड़ी जन्म से मृत्यु तक जरूरी होता है। मृदा व उसकी तैयारी सरसों की खेती के लिए बलुई दोमट मिट्टी सर्वाधिक उपयुक्त होती है। 



भूमि का पी.एच. मान 7-8 के बीच अर्थात् उदासीन से हल्की क्षारीय मिट्टी सरसों की खेती के लिए अच्छा रहता है। उन्नत किस्मों के प्रयोग से 20-25 प्रतिशत अधिक उपज प्राप्त होती है तथा इन किस्मों पर रोग व कीट का कम प्रकोप होता है। प्रचलित उन्नत किस्में, वरदान, वरूणा (टी-59), पूसा बोल्ड, पूसा जय किसान, बसुन्धरा (आर.एच.-9304), अरावली (आर.एन.-393), लक्ष्मी, स्वर्ण ज्योति, आशिर्वाद, कृष्णा, क्रान्ति, जवाहर-1 आदि प्रमुख हैं। उन्होंने बताया कि सरसों की बुवाई के 3 से 4 सप्ताह पहले 10 से 15 टन सड़ी हुई गोबर की खाद खेत में डालकर खेत की तैयारी करनी चाहिए।   

  मौके पर एक सौ किसानों के बीच मुफ्त में तोड़ी के बीज एवं पांच-पांच पौधे वितरित किये गए। वैज्ञानिको की देखरेख में 20 किसानों का एक समूह 10 एकड़ खेतो में जैविक विधि से खेती के लिए तैयार हुआ। मौके पर कांटी के प्रमुख कृपा शंकर शाही, शैलेंद्र कुमार शाही, दीपक तिवारी, अखिलेश ठाकुर, संजय कुमार, मुकुंद कुमार, सुरेश ठाकुर, राधेश्याम विजेता, प्रभात चंद्रा, रामचंद्र सहनी समेत बड़ी संख्या में किसानों की भागीदारी रही। कार्यक्रम के बाद सभी ने बगल स्थित महादेव मंदिर परिसर में पीपल का वृक्ष लगाया।

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