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न्यूरोथेरेपी को मान्यता दिलाने को केंद्र सरकार स्तर पर मंथन तेज

 INT NEWS NETWORK 

---न्यूरोथेरेपिस्ट विपिन कुमार पाठक की पहल पर पीएमओ ने लिया संज्ञान 

---बिना सुई- दवाई और आपरेशन के मरीज का हो रहा न्यूरोथेरेपी से इलाज

---न्यूरोथेरेपी को चिकित्सा प्रणाली के रूप में मान्यता देने का प्रस्ताव  अंतर-विभागीय समिति के विचाराधीन पहुंचा

आईएनटी न्यूज़ नेटवर्क मुजफ्फरपुर::

मुजफ्फरपुर के न्यूरोथेरेपिस्ट विपिन कुमार पाठक ने वैदिक विज्ञान पद्धति अन्तर्गत न्यूरोथेरेपी चिकित्सा को चिकित्सकीय मान्यता दिलाने के लिए जिला प्रशासन से लेकर प्रधानमंत्री तक लगातार पहल कर रहे। उनकी पहल अब रंग ला रही है। केंद्र सरकार ने न्यूरोथेरेपी को चिकित्सा प्रणाली के रूप में मान्यता देने का प्रस्ताव एक अंतर-विभागीय समिति के विचाराधीन रखा है। वहीं मुजफ्फरपुर के सिविल सर्जन डा अजय कुमार ने भी मान्यता दिलाने के लिए विभाग को पत्र लिखा है।  प्रधानमंत्री कार्यालय ने भी संज्ञान लेते हुए इसकी प्रक्रिया शुरू कर दी है। इस पर प्रधानमंत्री कार्यालय, जिलाधिकारी, सिविल सर्जन के प्रति आभार जताते हुए नेचरोथेरेपिस्ट विपिन पाठक ने कहा कि वह लगातार इस दिशा में पत्राचार किया है। अब तक 4000 से ज्यादा लोगों का सफल इलाज किए हैं।

उनका कहना है कि यह पद्धति हजारों वर्ष पुरानी, पूर्णतः प्राकृतिक एवं दवा-मुक्त है, जिससे विभिन्न बीमारियों का इलाज संभव है और उनके केंद्र पर अब तक 90 प्रतिशत तक मरीजों में सुधार दर्ज किया गया है।


जिलाधिकारी को दिए आवेदन तो सिविल सर्जन ने विभाग को लिखा पत्र ::

विपिन पाठक ने बताया कि सबसे पहले जिलाधिकारी मुजफ्फरपुर को आवेदन दिया। कहा कि इस पद्धति को सरकारी मान्यता नहीं मिलने से इसका विस्तार बाधित हो रहा है। उन्होंने मान्यता देकर इसे संरक्षित एवं विकसित करने की मांग की। जिलाधिकारी को दिए पत्र के आधार पर मुख्य चिकित्सा पदाधिकारी, मुजफ्फरपुर ने 20 जून 2025 को स्वास्थ्य विभाग, बिहार सरकार को पत्र भेजा। इसमें विपिन पाठक के आवेदन को संलग्न करते हुए उचित निर्णय एवं आवश्यक कार्रवाई की अनुशंसा की गई।

केंद्र सरकार का जवाब,  मान्यता देने का प्रस्ताव विचाराधीन 


विपिन पाठक ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भी पत्र लिखा। प्रधानमंत्री कार्यालय ने इस मामले को स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय, स्वास्थ्य अनुसंधान विभाग को भेजा। मंत्रालय ने अपने जवाब में बताया कि न्यूरोथेरेपी को चिकित्सा प्रणाली के रूप में मान्यता देने का प्रस्ताव एक अंतर-विभागीय समिति के विचाराधीन है। इस प्रस्ताव पर कई बार चर्चा हो चुकी है और आगे की बैठकों में भी विचार जारी रहेगा। स्वास्थ्य मंत्रालय ने स्पष्ट किया कि चिकित्सा पद्धति को मान्यता देना जनस्वास्थ्य से जुड़ा गंभीर विषय है, जिसके लिए सभी पहलुओं का विस्तृत मूल्यांकन और गहन प्रक्रिया आवश्यक है। यह प्रक्रिया समयसाध्य हो सकती है, लेकिन प्रस्ताव पर विचार जारी है। पाठक ने कहा कि वह लगातार इस पद्धति को मान्यता दिलाने के लिए पहल में जुटे हैं। पीएमओ की ओर से संज्ञान लेने पर अब इस पद्धति से जुड़े न्यूरोथेरेपिस्टों को एक नई उम्मीद की किरण जगी है।

फिलहाल, न्यूरोथेरेपी को मान्यता दिलाने की यह मुहिम जिला स्तर से लेकर केंद्र स्तर तक पहुंच चुकी है, और अब अंतिम निर्णय के लिए समिति की रिपोर्ट और सिफारिशों का इंतजार है। इस पहल से उम्मीद की जा रही है कि परंपरागत वैदिक चिकित्सा पद्धति को नई पहचान मिल सकेगी।

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