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विधान पार्षद बंशीधर ब्रजवासी ने पत्रकारों से किया संवाद, उनकी स्थिति की जानकारी ली, अब बनेंगे आवाज
बोले बंशीधर ब्रजवासी- पत्रकार हमारी आवाज उठाते हैं, अब उनकी आवाज हम जनप्रतिनिधि को उठाना होगा
आईएनटी न्यूज़ नेटवर्क/मुज़फ़्फ़रपुर
मुजफ्फरपुर :: बिहार के ग्रामीण पत्रकारों के अधिकार और भारत नेपाल मैत्री को लेकर काम कर रही मीडिया फार बॉर्डर हार्मोनी के पत्रकारों की टोली के साथ विधान पार्षद बंशीधर ब्रजवासी ने गुरुवार को संवाद किया। बिहार के पत्रकारों की स्थिति के बारे में जानकारी ली और अपना अनुभव साझा किया। शहर के दामुचक स्थित आवास पर पत्रकारों से संवाद करते हुए विधान पार्षद बंशीधर ब्रजवासी ने कहा कि पत्रकार समाज शिक्षक व अन्य दबे कुचले, गरीबों की आवाज को उठाते रहे हैं। उनकी कलम कि ताकत से आज शिक्षकों को बहुत अधिकार मिला है। अब जरूरत है शिक्षक समाज के साथ अन्य जनप्रतिनिधियों को भी पत्रकारों की आवाज बनकर आगे आने की।
विधान पार्षद ने कहा कि वह पत्रकारों की आवाज बनेंगे और उनके जीवन स्तर को मजबूत करने के लिए जो बुनियादी अधिकार चाहिए उसके लिए वह लड़ेंगे।
कहा कि यह बहुत ही दुर्भाग्य है कि हमारे पत्रकार गरीबों के हक के लिए आवाज उठाते हैं। अपनी जान जोखिम में डालकर काम करते हैं। वह अपनी घर परिवार की चिंता छोड़कर सुबह से शाम तक दौड़ते रहते हैं। एक मुद्दा मिल गया उसका निदान जब तक नहीं हुआ तब तक वह चैन से नहीं बैठते। लेकिन वह खुद अपनी समस्या के बारे में नहीं लिख सकते। अब तक श्रम संसाधन विभाग की ओर से उनको कुशल श्रमिक एक की सूची में नहीं डाला गया है। विधान पार्षद बंशीधर ब्रजवासी ने कहा कि हम शिक्षक बने उसी समय से देख रहे हैं कि मीडिया फॉर बॉर्डर हार्मोनी पत्रकारों के हित के लिए सदा पहल करता रहा है।
उन्होंने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से मांग किया कि बिहार में पत्रकारों के लिए चलने वाली पेंशन योजना के नियम को शिथिल किया जाए। फिलहाल पत्रकार पेंशन के लाभार्थी के लिए 20 साल का कार्य अनुभव और उनको सैलरी स्लिप देना अनिवार्य है। इसके कारण बड़ी संख्या में वरीय पत्रकार वंचित है। इसलिए इस नियम को शिथिल करते हुए पत्रकार बीमा योजना की तरह शपथ पत्र के आधार पर पत्रकारों को पेंशन दिया जाए। पेंशन का आधार सीनियर पत्रकार के 10 वर्ष के कार्य अनुभव और उम्र की सीमा 60 साल अनिवार्यता की जाए। 60 साल की उम्र और पत्रकार पेंशन योजना कि तरह शपथ पत्र के आधार पर उन्हें पेंशन दिया जाए। कहा कि रही बात कार्य अनुभव का प्रमाण पत्र के लिए तो बिहार सरकार हर जिलों में जिला सूचना जनसंपर्क विभाग से सूची उपलब्ध करा लें। बताया कि वह भी शिक्षक के रूप में कई चुनाव में शामिल रहे हैं। जब भी पत्रकार चुनाव में आते हैं तो वह अपने साथ निर्वाचन आयोग के जरिए जिला निर्वाचन पदाधिकारी द्वारा जारी परिचय पत्र दिखाते रहे हैं। इसके अलावा मुख्यमंत्री, प्रधानमंत्री और अन्य बड़े कार्यक्रम में भी न्यूज़ कवरेज के लिए पत्रकार शामिल होते हैं।
न्यूज़ कवरेज के समय भी जिला प्रशासन और विभिन्न बड़े राजनीतिक दल की ओर से विशेष परिचय कार्ड जारी किया जाता है। इसलिए सरकार के पास चुनाव व अन्य न्यूज़ कवरेज वाली कार्य अनुभव का रिकॉर्ड है। इस रिकॉर्ड के आधार पर पत्रकारों को पेंशन सरकार को देना चाहिए। विधान पार्षद ब्रजवासी ने कहा कि वह पत्रकारों के सवाल पर गंभीर है। पत्रकार हमारे समाज के अंग हैं। इसलिए सदन में सवाल को उठाएंगे। जिस तरह से हम शिक्षकों के मान सम्मान की आवाज पत्रकारों ने उठाया, विभिन्न माध्यमों से हमारी खबरों को प्रमुखता से छापते रहे। इसलिए अब हम शिक्षक समाज और खास करके मैं विधान पार्षद की हैसियत से अब उनकी जुबान बनकर आवाज बुलंद करूंगा। इसके साथ हीं वह बिहार के सभी विधान पार्षद और विधायकों से भी अपील करेंगे कि वह इस सवाल को सदन में प्रमुखता से रखें।
खास करके जो पत्रकारों की तीन बड़ी समस्या है उसका निदान होना चाहिए। उनको पेंशन के लिए कार्य अनुभव में नियम की शिथिलता करते हुए सैलरी शिल्प की अनिवार्यता खत्म किया जाए।
इसके साथ हीं ग्रामीण पत्रकारों को मान्यता प्राप्त का दर्जा देने के लिए बिहार सरकार अपने गजट में सुधार करते हुए जिला, अनुमंडल के बाद प्रखंड को भी शामिल करें। श्रम संसाधन विभाग कुशल मजदूरों की सूची में पत्रकार यानी कंटेंट क्रिएट करने वाले कुशल श्रमिक कलमकार को भी शामिल करें। विधान पार्षद से मिलने वालों में मुख्य रूप से वरीय पत्रकार न्यूज़ मैन अमरेन्द्र तिवारी, मीडिया फॉर बॉर्डर हार्मोनी अनुशासन समिति के अध्यक्ष वरीय पत्रकार वरुण कुमार, जिला अध्यक्ष रंजन कुमार, उपाध्यक्ष पंकज राकेश, चंदन कुमार, बोचहा विधानसभा अध्यक्ष चंद्रभूषण कुमार, मनोज कुमार, ब्रजेंद्र कुमार आदि शामिल रहे।
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