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Bihar:गीत, संगीत व नृत्य के बाद अब स्वाद ‌से‌ रेड लाईट एरिया में बदलाव‌ news

 INT NEWS NETWORK  

------चंपारण मटन हांडी का जायका अब रेड लाइट एरिया के महिलाओं के जिंदगी में बदलाव लाकर बनाएगा स्वावलंबी

मुजफ्फरपुर::: रेड लाइट एरिया में गुमनामी की जिंदगी जीने वाली महिलाएं भी अब खुद को स्वावलंबी बनने के लिए आगे आ रही है। रेड लाइट एरिया की बेटी और राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग सलाहकार समिति की सदस्य नसीमा की पहल पर यह बदलाव वहां दिख रहा है,। पहले चरण में महिलाएं जुगनू सिलाई सेंटर के माध्यम से सिलाई कढ़ाई कर रही है ।‌अब इस कड़ी को आगे बढ़ाते हुए‍ व्यंजन यानी खान-पान बनाने में विशेष रूच रखने वाली आधा दर्जन महिलाएं आगे आई है । यह महिलाएं पुलिस पाठशाला कन्हौली टीओपी में पढ़ने वाले बच्चों की अभिभावक हैं। अब समूह बनाकर यह महिलाएं चंपारण, अहुना हांडी मीट बनाने का तौर तरीका सीख रही है। स्वावलंबी बनाने के लिए चंपारण हांडी मटन को देश दुनिया में ब्रांड बनाने वाले  ओल्ड चंपारण मटन हाउस पटना के डायरेक्टर गोपाल कुशवाहा आधा दर्जन महिलाओं ‌के समूह को विधिवत ट्रेनिंग दे रहे हैं ।‌ मुजफ्फरपुर आकर उन्होंने चंपारण, अहुना हांडी मटन की स्वाद और इसके डिमांड की जानकारी दी। उसके बाद आधा दर्जन महिलाएं समूह बनाकर आगे आई है। यह सभी बाकायदा चंपारण हांडी मटन बनाने का प्रशिक्षण ले रही है। आने वाले दिनों में मुजफ्फरपुर शहर के अलग-अलग जगह में स्टॉल लगाकर व चंपारण हांडी मटन  बेचेंगी या फिर आनलाइन सप्लाई की जाएगी। चंपारण मटन हांडी के प्रणेता गोपाल कहते हैं कि वह मानवधिकार आयोग सलाहकार समिति कि सदस्य और मुजफ्फरपुर कन्हौली पुलिस टीओपी परिसर में चल रहे पुलिस पाठशाला की समन्वयक‌ राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग‌ सलाहकार समिति कि सदस्य नसीमा खातून से मिले।
 उनसे मुलाकात के बाद लगा कि समाज की वैसी महिलाएं जो गुमनामी की जिंदगी जी रही है और अपने को मुख्यधारा में जोड़ने के लिए स्वावलंबी बनना चाहती है उनको वह खुद अपने संसाधन से प्रशिक्षित करेंगे, दक्ष करेंगे । फिर उन्हें मटन हांडी बनाने और उसको बाजार तक पहुंचाने के लिए प्रशिक्षण देंगे। इस संकल्प के साथ वह मुजफ्फरपुर के वंचित जमात रेडलाइट एरिया में रहने वाली महिलाओं को जोड़े हैं। उन्हें उम्मीद है कि यह लोग बेहतर करेंगे।  गोपाल ने कहा कि स्वाद के लिए वह खुद अलग-अलग मसाला तैयार करते हैं। वह मसाला भी इन महिलाओं को उपलब्ध कराया गया है , बहुत जल्द एक प्रदर्शनी लगाकर अधिकारियों व शहर के प्रमुख लोगों के बीच चंपारण मटन, अहुना हांडी की लांचिंगम मुजफ्फरपुर में की जाएगी। उन्होंने कहा कि इस काम को करके उन्हें बहुत सुकून मिल रहा है कि समाज की वैसी महिलाएं जो बिल्कुल एक तरह से‍ समाज‌‌ से कटी हुई है । उनके अंदर विभिन्न तरह के पकवान बनाने की कला छिपी हुई है। उस पाक कला को वह एक बेहतर मुकाम देना चाहते हैं। इसीलिए यह पहल हो रही है ।वह  एक बेहतर प्लेटफार्म देंगे ताकि यह महिलाएं या फिर उसे तरह की दूसरी महिलाएं भी जिन्हें बेहतर व्यंजन बनाने में रुचि हो उनको जोड़कर एक रोजगार का नेटवर्क तैयार होगा। इससे महिलाओं की एक अलग पहचान होगी । वह खुद स्वावलंबी बनकर बेहतर जीवन जी सकेंगे। मानव अधिकार सलाहकार समिति की सदस्य परचम संगठन की संचालक नसीम ने कहा कि चम्पारण हांडी मटन‍ वाले गोपाल कुशवाहा की पहल से एक बदलाव आने वाले दिनों में दिखेगा। गोपाल कुशवाहा, ओल्ड चंपारण मटन हाउस पटना के डायरेक्टर  हैं। 
कहती है कि  उनका संकल्प है कि रेड लाइट एरिया में रहने वाले लोग बेहतर जीवन यापन करें। उन्हें संवैधानिक अधिकार दिलाया जाए। इसी कड़ी में वह यहां के महिलाओं के शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार के लिए अलग-अलग संगठनों से मिलकर काम कर रही है ।इसके बेहतर परिणाम भी सामने आ रहे हैं। उनकी पहल पर जुगनू सिलाई सेंटर काम कर रहा है। जिसमें एक दर्जन महिलाएं जुड़ी हुई है ।इसके साथ इस इलाके में रहने वाले बच्चों के लिए पुलिस प्रशासन से समन्वय बनाकर कन्हौली टीओपी में पुलिस पाठशाला चल रहा है ।जहां अब 100 बच्चे पढ़ाई कर रहे हैं ।

इस पाठशाला में  पुलिस प्रशासन के सभी वरीय अधिकारियों का सहयोग मिल रहा है। आईपीएस अधिकारी अवधेश सरोज दीक्षित की पहल से कन्हौली टीओपी परिसर में पुलिस पाठशाला शुरू हुआ ।वह नियमित बच्चों के बीच में आते रहे ।एक ऐसा माहौल बना की आईपीएस अवधेश सरोज दीक्षित गोपालगंज के एसपी बनाकर यहां से गए ।
उसके बाद भी इस पाठशाला में सिटी एसपी    और नगर डीएसपी सीमा देवी नगर डीएसपी टू विनीता वर्मा और सभी पुलिस अधिकारियों का बहुत ही सहयोग मिला है । यह‌ पाठशाला आने वाले दिनों में पूरे देश में‌ स्लम एरिया,वंचित जमात के लोगों को शिक्षा से जोड़ने का बेहतर माध्यम होगा। इस पाठशाला में नियमित पुलिस अधिकारी जवान या अन्य पदाधिकारी वं समाज के गणमान्य  लोग अपने जन्मदिन की खुशियां इन बच्चों के बीच में जाकर बांटते हैं। चंपारण हांडी मटन से यहां कि महिलाओं को रोजगार के साथ एक सम्मान भी मिलेगा।

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