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Bihar:राम और सीता का विवाह ब्रह्मा और शक्ति के मिलन का प्रतीक news

 INT NEWS NETWORK 

---सतपुरा पोखरिया पीर मंगल स्थान  में नौ दिवसीय श्रीरामचरित मानस कथा में उमड़े श्रद्धालु 

आईएनटी टीम, मुजफ्फरपुर:;

सतपुरा पोखरिया पीर मंगल स्थान में नौ दिवसीय श्रीरामचरित मानस कथा व संगीतमय प्रवचन के छठे दिन राम सीता विवाह की कथा भक्तों ने सुनी। वहीं मुख्य अतिथि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रचारक अरविंद कथा में शामिल हुए।  धर्म जागरण समन्यव उत्तर बिहार व बिहार सांस्कृतिक विकास परिषद के सचिव कृष्ण कुमार मिश्र एवं धर्म जागरण के पासवान परियोजना के प्रांत प्रमुख रामेश्वर पासवान ने संयुक्त रूप से भारत माता का पूजन कर दीप प्रज्वलन किया गया। 
काथा में भाव विभोर हुए भक्त, जय जय सीताराम का लगा जयकारा

कथावाचक चित्रकूट धाम से आए स्वामी सीताराम शरण जी महाराज ने कथा के छठे दिन कथा मर्मज्ञ ने राम विवाह का प्रसंग सुनकर भक्तों को मंत्र मुग्ध कर दिया। उन्होंने कहा कि राम और सीता का विवाह ब्रह्मा और शक्ति के मिलन का प्रतीक है। भगवान राम और लक्ष्मण जब जनकपुरी की गलियों से गुजरे, तो उनकी सुंदरता और मोहक छवि से हर कोई प्रभावित था। लोग कतारबद्ध होकर उनकी एक झलक पाने और पुष्पवर्षा करने के लिए खड़े थे। महर्षि विश्वामित्र का आशीर्वाद लेकर राम और लक्ष्मण जनकपुर का भ्रमण करने निकले। दोनों भाइयों की सुंदरता और तेजस्वी छवि की चर्चा पूरे जनकपुर में होने लगी।फुलवारी का प्रसंग सुनाते हुए स्वामी सीताराम शरण जी महाराज ने कहा कि राम और लक्ष्मण गुरु की आज्ञा लेकर फूल लेने बगीचे में गए। उसी समय सखियों के साथ माता सीता भी गिरिजा पूजन के लिए बगीचे में पहुंचीं। सखियां गीत गाते हुए सीता को घेरे रहती हैं, जबकि सीता संकोच के साथ राम की सांवली सूरत फिर से निहारने की इच्छा व्यक्त करती हैं। गिरिजा पूजन के समय माता सीता ने राम जैसा वर पाने की कामना की, जिसे सुनकर मां गिरिजा प्रसन्न हो गईं और आशीर्वाद दिया कि सीता की मनोकामना पूरी होगी। इसके बाद आकाशवाणी होती है कि सीता को वही वर मिलेगा जिसे उन्होंने मन ही मन चाहा है। गौरी का आशीर्वाद पाकर सीता राजमहल लौट गईं।

कथा में जनकपुरी के स्वयंवर का वर्णन करते हुए बताया गया कि अनेक पराक्रमी राजा शिव धनुष को उठाने में असमर्थ रहे। राम ने जैसे ही शिव धनुष तोड़ा, पूरे देवलोक में हर्ष छा गया। देवताओं ने पुष्पवर्षा की और पृथ्वी से असुरों का अंत होने की खुशी में प्रसन्नता व्यक्त की।

उनका मिल रहा सहयोग 

कार्यक्रम को सफल बनाने में  संयोजक विपिन कुमार सिंह,कथा सचिव रंजीत कुमार चौधरी, पूर्णकालिक नंदकिशोर गुप्ता,संत व्यवस्था सुनील कुमार, धर्मेंद्र कुमार पासवान,प्रभु साह सोनू कुमार, ललन कुमार,संजय पासवान, कृष्ण नंदन प्रसाद,चंदन कुमार, राघवेन्द्र कुमार अधिवक्ता, चितरंजन कुमार,मोहन कुमार गुप्त सुनील कुमार पाठक, मुकेश चौधरी, योगेंद्र उपाध्याय, सुनील कुशवाहा, प्रभु साह आदि तन मन धन से लगे हुए हैं।


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