अनिल तिवारी ,वीरगंज। नेपाल के व्यापारिक केंद्र वीरगंज के आदर्शनगर चौक पर पिछले एक महीने से "रेनरेनले सुपरमार्केट" नामक एक दुकान संचालन में है, जिसे प्रत्यक्ष रूप से दो चीनी नागरिक चला रहे हैं। स्थानीय व्यापारी देवकी अग्रवाल की तीन मंजिला इमारत को इन चीनी नागरिकों ने मासिक 2 लाख 60 हजार रुपये में किराए पर लिया है, जिसमें से दो मंजिल पर वे स्वयं स्थानीय स्टाफ के साथ रह रहे हैं।
अग्रवाल के अनुसार, शुरुआत में चार चीनी नागरिक थे लेकिन वर्तमान में दो — जियांग ली और एन मिंग — ही रह रहे हैं। इन झोसी और मो यान पहले ही लौट चुके हैं। प्रमुख संचालक जियांग ली बताये जा रहे हैं, जो पहले भी दो बार पर्यटक वीजा पर नेपाल आ चुके हैं, और अब 180 दिनों के बिजनेस वीजा पर हैं।
हालाँकि, सुपरमार्केट के कानूनी कागजात किसी भी चीनी नागरिक के नाम पर नहीं हैं। "रेनरेनले सुपरमार्केट" को पर्सा जिला के मधुवन मथवल निवासी तिलक बहादुर खड़का के नाम पर कंपनी रजिस्ट्रार कार्यालय में पंजीकृत किया गया है। खड़का का कहना है कि चीनी नागरिक केवल निरीक्षण और सुपरविजन के लिए हैं, क्योंकि यहाँ चीनी उत्पादों की बिक्री होती है।
नेपाल के तराई क्षेत्र, विशेषकर भारत सीमा से सटे शहरों में चीनी गतिविधियाँ हाल के वर्षों में तेज़ी से बढ़ी हैं। यह क्षेत्र रणनीतिक रूप से अति संवेदनशील माना जाता है। व्यापार की आड़ में जासूसी के आरोप कोई नए नहीं हैं।
कोरोना से पहले भी एक मामले में, अलखिया मंदिर के पास पूर्वमंत्री बिमल श्रीवास्तव के घर को किराए पर लेकर चीनी नागरिकों ने कपड़े की दुकान चलाई थी, लेकिन रातोंरात दुकान बंद कर भाग निकले थे। आरोप था कि ऊपरी मंजिल से संवेदनशील उपकरणों के माध्यम से भारत के खिलाफ जासूसी की जा रही थी।
वीरगंज, भैरहवा, जनकपुर और नेपालगंज जैसे सीमावर्ती शहरों में चीनी कंपनियाँ कागजी मिलान के सहारे कारोबार के नाम पर मांस, चमड़ा जैसे उद्योगों के माध्यम से तस्करी में संलिप्त पाई गई हैं।
राष्ट्रीय एकता अभियान के अध्यक्ष विनय यादव ने आरोप लगाया कि, “चीन ने ठमेल और पोखरा के बाद अब आर्थिक दृष्टि से महत्वपूर्ण वीरगंज को चीनी गतिविधियों का अड्डा बना दिया है।" उन्होंने सवाल उठाया कि जब स्थानीय नेपाली व्यापारी घाटे में हैं, तब चीनी नागरिक हर महीने ढाई लाख का किराया देकर कैसे लाभ कमा रहे हैं — क्या यह व्यापार है या भारत-विरोधी जासूसी अभियान?
कुछ साल पहले वीरगंज के लक्ष्मणवा इलाके में पुलिस ने एक चीनी गिरोह का भंडाफोड़ किया था, जो भारत में ऑनलाइन ठगी से जुड़े थे। चीनी नागरिकों द्वारा संचालित CCTV और मोबाइल सर्विस सेंटरों से स्थानीय नागरिकों की डेटा और ऑनलाइन गतिविधियाँ ट्रैक की जा रही थीं।
पर्सा के एसपी गौतम मिश्र ने कहा, “चीनी नागरिक विजिट वीजा पर आए हैं। मार्केट तिलक खड़का के नाम पर पंजीकृत है। हो सकता है वे सेल्समैन के रूप में काम कर रहे हों। मामले की जानकारी ली जा रही है।”
चीनी नागरिक सीधे तौर पर कम और स्थानीय व्यापारियों, दलालों और धार्मिक संस्थाओं के माध्यम से नेपाल में प्रभाव बढ़ा रहे हैं। खासकर मदरसे और कुछ बौद्ध संस्थानों में भी चीनी प्रभाव स्पष्ट हो रहा है। यदि नेपाल सरकार ने समय रहते सतर्कता नहीं बरती, तो नेपाल के भीतर से किसी अन्य देश के खिलाफ होने वाली गतिविधियों का दुष्परिणाम पूरे राष्ट्र को भुगतना पड़ सकता है।
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