136 वीं जयंती पर याद किए गए बिहार केसरी श्री बाबू
टीम अजीत कुमार ने समारोह आयोजित कर अर्पित किया भावभीनी श्रद्धांजलि
आईएनटी न्यूज़ नेटवर्क, मुज़फ़्फ़रपुर
टीम अजीत कुमार ने शनिवार को बिहार केसरी डॉ श्रीकृष्ण सिंह के 136 वीं जयंती पर स्थानीय बीबीगंज स्थित पूर्व मंत्री के आवासीय परिसर में समारोह आयोजित कर उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित किया। जयंती समारोह की अध्यक्षता टीम के अध्यक्ष मुखिया इंद्र मोहन झा तथा संचालन रामाशीष राम ने किया।
कार्यक्रम का शुभारंभ समाज के आदर्श श्री कृष्ण सिंह के तैल चित्र पर पुष्प अर्पित एवं दीप प्रज्वलित कर टीम के संरक्षक, भाजपा के बरिष्ठ नेता पूर्व मंत्री अजीत कुमार व स्थानीय जनप्रतिनिधियों ने संयुक्त रूप से किया।
इस अवसर पर लोगों को संबोधित करते हुए पूर्व मंत्री अजीत कुमार ने कहा की श्री बाबू समकालीन भारतीय राजनीति के दिव्यमान राजनेता थे। वे संघर्षशील, जुझारू और दूरदर्शी सोच के व्यक्ति थे । श्री बाबू सामाजिक न्याय व संप्रदायिक सद्भाव के प्रणेता थे । उन्होंने समाज के सभी वर्गों के संतुलित विकास पर ध्यान देते हुए बिहार और इस देश को बहुत कुछ दिया था । श्री बाबू स्वामी सहजानंद सरस्वती के विचारों से प्रभावित होकर इस देश में पहली बार बिहार से जमीनदारी प्रथा का उन्मूलन प्रारंभ किया था । उन्होंने बिहार में उद्योग, कृषि , सिंचाई, शिक्षा, स्वास्थ्य, कला व सामाजिक क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य करते हुए कल कारखाना, शैक्षणिक संस्थान खुलवा कर बिहार को प्रगति की ओर अग्रसर कराया था। उनके द्वारा रिफाइनरी, खाद कारखाना, भारी उद्योग , देश का सबसे बड़ा स्टील प्लांट, एशिया का सबसे बड़ा रेल यार्ड, गंगोत्री से गंगासागर के बीच प्रथम रेल सह- सड़क पुल , राजेंद्र पुल, कोसी प्रोजेक्ट, पूसा और सबौर में एग्रीकल्चर कॉलेज, बिहार, भागलपुर , रांची विश्वविद्यालय स्थापित कर बिहार को नया स्वरूप प्रदान किया था । श्री कुमार ने कहा कि आज भले श्री बाबू हम सबके बीच नहीं हैं लेकिन उनका कृति अमर है, अमर रहेगा ।
उन्होंने कहा कि श्री बाबू दलित समाज के लोगों को मंदिर में प्रवेश दिला कर सामाजिक समरसता का मिसाल कायम किया था। श्री कुमार ने आजादी के 76 वर्ष बाद भी श्री बाबू को भारत रत्न की उपाधि नहीं दिए जाने पर चिंता व्यक्त करते हुए सरकार से शीघ्र उन्हें भारत रत्न के सम्मान से सम्मानित करने की मांग की। उन्होंने कहा कि श्री बाबू आजीवन अपराजय और 1937 से अपने जीवन के अंतिम समय तक मुख्यमंत्री रहे । उन्होंने कहा कि सरकार उनके जीवनी को एनसीआरटी और बिहार के पाठ्यक्रमों में शामिल करें। श्री कुमार ने सरकार से पटना विश्वविद्यालय का नाम श्री बाबू के नाम पर रखने का भी मांग किया।
इस मौके पर जयंती समारोह को पंडित शंभू नाथ चौबे , साकेत रमन पांडे, रामनेवाज सिंह, अंकेश ओझा ,नागेंद्र पंडित, पैक्स अध्यक्ष रंजीत चौधरी, कमलेश कांत गिरी , मुरारी झा, सुरेंद्र सिंह, सुमन कुमार सिंह ,पप्पू सिंह, अनिल पंडित, शीतल पासवान, हरिहर भगत, पैक्स अध्यक्ष राजेश कुमार सिंह, ब्रह्म प्रकाश, मोहम्मद शमीम ,अखिलेश पांडे, प्रिंस शाही, योगेंद्र यादव ,अवधेश यादव, चंदन पासवान ,वकील राम ,गोपाल सिंह, चंचल कुमार गोस्वामी, पिंकेश त्रिपाठी , रमेश कुशवाहा , रमेश ठाकुर , प्रीतम कुमार , बैजू सहनी, रामप्रवेश पंडित ,अवधेश पंडित, शंकर लोहार, प्रमोद पांडे आदि लोगों ने संबोधित किया।
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